जय माँ श्री कामाख्या देवी
असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर स्थित कामाख्या मंदिर का भारत का प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है. यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है और इसका तांत्रिक महत्व भी है. प्रधानमंत्री नवरात्र के पहले दिन शुक्रवार को कामाख्या मंदिर में देवी के दर्शन करने पहुंचे.
कामाख्या मंदिर की खास बातें
1. गर्भ गृह में देवी की कोई तस्वीर या मूर्ति नहीं.
2. तांत्रिक सिद्धि के लिए है ये बेहतर स्थान.
3. देवी के 51 शक्तिपीठ में है ये शामिल.
4. गर्भगृह में सिर्फ योनि के आकार का है पत्थर.
5. मां भगवती के योनि रूप का है ये अनूठा मंदिर.
6. दुनियाभर के तांत्रिकों का है ये पूज्य स्थान.
7. देवी की महामुद्रा कहलाता है योनि रूप.
8. पूरे ब्रह्मांड का माना जाता है केंद्र बिंदु.
9. हर माह तीन दिनों के लिए बंद होता है मंदिर .
10. मान्यता है कि कामाख्या देवी माता सती की योनि यहां गिरी थी.
11. दस महाविद्या, काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला की पूजा भी कामाख्या मंदिर परिसर में की जाती है.
12. यहां बलि चढ़ाने की भी प्रथा है. इसके लिए मछली, बकरी, कबूतर और भैंसों के साथ ही लौकी, कद्दू जैसे फल वाली सब्जियों की बलि भी दी जाती है.
13. पूस के महीने में यहां भगवान कामेश्वर और देवी कामेश्वरी के बीच प्रतीकात्मक शादी के रूप में पूजा की जाती है.
14. मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जमीन से लगभग 20 फीट नीचे एक गुफा में स्थित है.
असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर स्थित कामाख्या मंदिर का भारत का प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है. यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है और इसका तांत्रिक महत्व भी है. प्रधानमंत्री नवरात्र के पहले दिन शुक्रवार को कामाख्या मंदिर में देवी के दर्शन करने पहुंचे.
कामाख्या मंदिर की खास बातें
1. गर्भ गृह में देवी की कोई तस्वीर या मूर्ति नहीं.
2. तांत्रिक सिद्धि के लिए है ये बेहतर स्थान.
3. देवी के 51 शक्तिपीठ में है ये शामिल.
4. गर्भगृह में सिर्फ योनि के आकार का है पत्थर.
5. मां भगवती के योनि रूप का है ये अनूठा मंदिर.
6. दुनियाभर के तांत्रिकों का है ये पूज्य स्थान.
7. देवी की महामुद्रा कहलाता है योनि रूप.
8. पूरे ब्रह्मांड का माना जाता है केंद्र बिंदु.
9. हर माह तीन दिनों के लिए बंद होता है मंदिर .
10. मान्यता है कि कामाख्या देवी माता सती की योनि यहां गिरी थी.
11. दस महाविद्या, काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला की पूजा भी कामाख्या मंदिर परिसर में की जाती है.
12. यहां बलि चढ़ाने की भी प्रथा है. इसके लिए मछली, बकरी, कबूतर और भैंसों के साथ ही लौकी, कद्दू जैसे फल वाली सब्जियों की बलि भी दी जाती है.
13. पूस के महीने में यहां भगवान कामेश्वर और देवी कामेश्वरी के बीच प्रतीकात्मक शादी के रूप में पूजा की जाती है.
14. मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जमीन से लगभग 20 फीट नीचे एक गुफा में स्थित है.
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